प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) : भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2024 तक "हर परिवार के पास अपना आवास" का सपना साकार करना है। इस योजना की शुरुआत 20 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा की गई थी। यह पूर्ववर्ती "इंदिरा आवास योजना" का एक परिवर्धित और पुनर्गठित रूप है। पीएमएवाई-जी का मुख्य फोकस ग्रामीण भारत के गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) रहने वाले परिवारों, विशेष रूप से "कच्चे घरों" में रह रहे लोगों को, मकान निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। यह योजना न केवल एक आशियाना मुहैया कराती है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने, रोजगार सृजित करने और ग्रामीण जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने का एक शक्तिशाली माध्यम भी बन गई है।
मुख्य उद्देश्य:
1. आवास की बुनियादी आवश्यकता की पूर्ति: ग्रामीण गरीबों को कच्चे और असुरक्षित झोपड़ियों से मुक्ति दिलाकर पक्का आवास उपलब्ध कराना।
2. सामाजिक समानता को बढ़ावा: योजना का लाभ अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अल्पसंख्यक वर्गों सहित सभी वंचित वर्गों तक पहुँचाना।
3. महिला सशक्तिकरण: नए मकान का स्वामित्व महिला के नाम या संयुक्त रूप से (पति-पत्नी दोनों के नाम) करवाना, जिससे महिलाओं की आर्थिक व सामाजिक स्थिति मजबूत हो।
4. सतत विकास एवं मूलभूत सुविधाएँ: "पक्का घर" के साथ-साथ बिजली, शौचालय, रसोई गैस कनेक्शन (उज्ज्वला), जल आपूर्ति (जल जीवन मिशन) जैसी बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराना, जिससे रहने की समग्र गुणवत्ता में सुधार हो।
योजना की मुख्य विशेषताएँ एवं लाभ:
वित्तीय सहायता: केंद्र और राज्य सरकार मिलकर प्रत्येक लाभार्थी परिवार को मकान निर्माण के लिए वित्तीय अनुदान देती हैं। मैदानी इलाकों में प्रति इकाई लागत 1.20 लाख रुपये और पहाड़ी/दुर्गम क्षेत्रों में 1.30 लाख रुपये है। इसमें से केंद्र सरकार 60,000 रुपये (मैदानी) और 67,500 रुपये (पहाड़ी) का योगदान देती है।
लाभार्थी चयन: लाभार्थियों का चयन पूरी तरह पारदर्शी तरीके से सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) 2011 के आँकड़ों के आधार पर किया जाता है। इसमें स्वतः शामिल परिवारों की पहचान "कच्चे घरों में रहने" की कसौटी पर की जाती है। बाद में, आवास की जरूरत और आर्थिक स्थिति के आधार पर ग्राम सभा की सिफारिश पर कुछ और परिवारों को शामिल किया गया है।
प्रौद्योगिकी का उपयोग: पूरी प्रक्रिया डिजिटल और पारदर्शी है। आवास-सॉफ्ट पोर्टल के माध्यम से लाभार्थी सूची, निर्माण प्रगति, धनराशि के हस्तांतरण आदि की निगरानी की जाती है। जीओआई टैग के जरिए निर्माण स्थल की वास्तविक तस्वीरें अपलोड की जाती हैं।
महिला स्वामित्व: योजना का एक प्रमुख पहलू यह है कि निर्मित आवास का स्वामित्व कम से कम एक वयस्क महिला सदस्य के नाम या संयुक्त रूप से होना अनिवार्य है।
बुनियादी सुविधाओं का अभिसरण: पीएमएवाई-जी को मनरेगा (श्रमिकों के लिए रोजगार), स्वच्छ भारत मिशन (शौचालय), उज्ज्वला योजना (रसोई गैस), जल जीवन मिशन (नल से जल) और सॉलर पैनल जैसी अन्य कल्याणकारी योजनाओं के साथ जोड़ा गया है, ताकि पक्के घर के साथ ही सभी जरूरी सुविधाएँ भी मिल सकें।
आवेदन प्रक्रिया:
लाभार्थी का चयन मुख्य रूप से एसईसीसी डेटा के आधार पर होता है, इसलिए सामान्य तौर पर अलग से आवेदन करने की आवश्यकता नहीं होती। हालाँकि, जो परिवार चयन सूची में छूट गए हैं, वे निम्नलिखित प्रक्रिया अपना सकते हैं:
1. ऑनलाइन पोर्टल: आधिकारिक वेबसाइट [pmayg.nic.in](https://pmayg.nic.in) पर जाकर "लाभार्थी सूची" में अपना नाम खोजें।
2. ग्राम पंचायत से संपर्क: यदि नाम नहीं है, तो अपनी ग्राम पंचायत के सचिव या ग्राम विकास अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं। ग्राम सभा द्वारा अनुशंसित पात्र परिवारों को सूची में शामिल किया जा सकता है।
3. शिकायत निवारण: किसी भी प्रकार की शिकायत के लिए हेल्पलाइन नंबर (1800-11-6446 या 14405) या ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध शिकायत दर्ज करने का विकल्प है।
4. चयन के बाद: चयनित लाभार्थी को अवेयरनेस लेटर मिलता है। इसके बाद वह अपने बैंक खाते में आवंटित धनराशि प्राप्त कर सकता है, जो कई किस्तों में निर्माण प्रगति के अनुसार जारी की जाती है।
योजना का प्रभाव एवं सफलता:
प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण देश के सबसे बड़े आवास निर्माण कार्यक्रमों में से एक है। मार्च 2024 तक, इस योजना के तहत लगभग 3 करोड़ से अधिक पक्के मकानों का निर्माण पूरा हो चुका है। इस योजना ने न केवल करोड़ों लोगों को सुरक्षित आश्रय दिया है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय रोजगार (जैसे राजमिस्त्री, मजदूर, सामग्री आपूर्तिकर्ता) को भी बढ़ावा दिया है। यह ग्रामीण बुनियादी ढाँचे के विकास और गरीबी उन्मूलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
निष्कर्ष:
प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण केवल ईंट-गारे से मकान बनाने की योजना नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण भारत के गरीब परिवारों को सुरक्षा, गरिमा और एक बेहतर जीवनशैली प्रदान करने का एक माध्यम है। यह योजना "सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास" के सिद्धांत को चरितार्थ करती हुई, एक नए आत्मविश्वासी और आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभा रही है। निस्संदेह, यह योजना देश के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को बदलने वाली एक क्रांतिकारी पहल साबित हुई है।